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जीवन के सहचर / Jivan Ke sahchar - Kavi Amrit 'Wani'

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मुझे तो बस इतनीसी बात पर ही बेहद नाज है कि ये नुश्खे, नज्म ,शायरी,मुक्तक और रूबाइयां ये तमाम अक्ष मेरे रूहानी अल्फाज हैं ।
मेरे जजबात जमाने के जिगर के वास्ते किस हद तक मरहम का काम करने में कामयाब होंगे या कितनी माकूलन सीहत ,कितना शुकून ,कितनी तसल्ली ,कितनी खुशी दे सकेंगे ये फैसलें भी आने वाले वक्त की आम जबान से ही सुन सकेंगे । इनके वास्ते आज मैं मेरी ओर से कोई भी वक्त मुकर्रर करने की गुस्तखी नहीं कर सकता हूं ।

कवि अमृत 'वाणी'
अमृत लाल चंगेरिया (कुमावत) चित्तोडगढ
+91 9413180558

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